स्कूल के वो 5 “मिथ”, जिन्हें बचपन में मानते थे हम सच | some childhood myths | INFOMATIVE
दोस्तो बचपन किसे याद नहीं आता, वो दोस्तों के साथ खेलना, कुत्तों का घर बनाना, स्कूल जाने के नाम से रोना, और अपने बेतुके ख़यालो में खोए रहना, सच मे वो भी क्या दिन थे। पर दोस्तो क्या आप जानते है कुछ ऐसे बेतुके मिथ भी है, जिन्हें हम सभी ने अपने स्टूडेंट लाइफ में अनुभव किया ही होगा, और हैरत की बात तो ये है कि हम इन्हे सच भी मान बैठे थे। तो आइए आपको इनसे रूबरू कराते हैं।
5.
मोर
पंख
हो
जाएगा डबल –
दोस्तो ये एक बेहद ही आम मिथ था, की यदि हम अपनी पुस्तक के बीच में एक मोरपंख दबा कर रखते है तो वो दो तीन दिन में दो हो जाएंगे, और यकीन मानिए , हममें से कईयों ने इसे आज़मा के भी देखा होगा।
4. विद्या के पत्ते से आयेंगे अच्छे मार्क्स –
मयुरपंखी (Thuja
plant) एक
पौधा
होता
है
जिसे
आम
भाषा
में
विद्या का पौधा भी कहा जाता है। दोस्तो लगभग हम सभी ने इसके पत्ते को कभी न कभी तो अपनी स्कूल की किताबो में रखा ही होगा, इस विश्वास से कि हमे इससे विद्या प्राप्त होगी और हमे परीक्षा मे अच्छे अंक प्राप्त होंगे, पर दोस्तो यह भी एक मिथ था।
3. सर टकराने से काटेगा काला कुत्ता -
दोस्तो असेम्बली में लगने वाली लाइन में जब ग़लती से हमारा किसी से सर टकरा जाता था, तो हम ये मानते थे कि हमे काला कुत्ता काट लेगा, और इससे बचने के लिए हमे दोबारा सर आपस में टकराना होगा, और दोस्तो हैरत की बात है कि हम यह करते भी थे।
2.
शाकालाका बूम बूम वाली पेंसिल –
हर भारतीय जो, 90 के दशक में जन्मा हो, भला इसे कैसे भूल सकता है, दोस्तो दरअसल उस समय शाकालाका बूम बूम नाम से, दूरदर्शन पर एक धारावाहिक प्रसारित होता था, जिसमे एक जादूई पेंसिल दिखाई गई थी जिससे जो उकेरा जाए वो चीज वास्तविक रूप ले लेती, दोस्तो उस समय हर बच्चा इसकी वास्तविकता मानता था, और इसके सपने देखता था, ताकि वह अपनी कल्पनाओं को साकार कर सके। दोस्तो आप ने भी अपने माता पिता से इस पेंसिल के लिए जिद ज़रूर की होगी।
1.पेंसिल के छिलकों से रबर (eraser) बनना –
दोस्तो ये बेहद ही बेतुका पर बोहोत प्रसिद्ध मिथ था, की यदि पेंसिल के छिलकों को दूध के साथ मिलाया जाए और इसमें, फेविकोल और नमक मिलाकर पकाया जाए, तो रबर (eraser) तैयार होगा, जिसे हममें से बोहोत से लोगो ने करके भी देखा होगा, दोस्तो हैरान करने वाली बात तो यह है, की जब दुनिया भर के प्राइमरी क्लास के बच्चो के साथ इसपर सर्वे किया गया, तो अधिस्कांश बच्चो में यही मिथ अलग अलग तरह से पाया गया जिसमे पेंसिल के छिलकों से रबर बनने वाली बात कॉमन थी।
दोस्तो बचपन के इन नादान मिथकों को लेकर आपके अनुभव क्या रहे है, तथा और भी मिथ जिन्हें हमने इस ब्लॉग में शामिल नहीं किया उन्हे भी हमसे साझा अवश्य करें। आशा करता हूं आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आई होगी। ऐसे और भी रोचक तथ्यो को जानने के लिए हमारे साथ बने रहे।
धन्यवाद!
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